Wednesday, 30 March 2016

सस्ता इलाज या जानलेवा इलाज डेंटल क्वेक (झोला छाप डेन्टिस्ट)

लगातार बढ़ती  जा रही आबादी के सामने खाने पीने और स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ती जा रही है ऐसे में सही और  गलत का निर्धारण करने  समय किसके पास है

भारत जैसे विशाल देश में जहां की आबादी 1.२५ अरब के ऊपर है स्वास्थ्य के रखरखाव  से जुडी समस्यायें लगातार बढ़ती जा रही है उस पर दाँतों से जुडी समस्याओं पर ध्यान  तो तब जाता है जब समस्या बहुत बढ़ जाती है या  self  medication से लाभ मिलना बंद हो जाता है 
भारत देश में लोग बीमारी को तो लंबे समय तक सहन(tolerate) करते है उसे पालपोष कर बढ़ा कर डेंटिस्ट के पास पहुंचते है पर जैसे ही डेंटिस्ट के यह पहुंचते है वो इंतजार करना पसंद नहीं करते और डेंटिस्ट से उम्मीद करते है की वह कम समय में कम पैसे में उनका इलाज कर दे क्योंकि हम लोगो को लगता है  दाँतों  इलाज पर पैसा खर्च करना व्यर्थ का खर्च है कौन मुँह के अन्दर देखता है चेहरे को तो सभी चमका  के रखते है पर मुंह के अंदर क्या चल रहा है इस पर कोई ध्यान नहीं देता !! 


इसी मानसिकता  चलते झोलाछाप डॉक्टर उन्हें सस्ता इलाज बताकर भ्रमित करते है ये सस्ता इलाज उस  समय तो दर्द से  राहत  देता है पर उसके दूरगामी परिणाम बहुत भयावह/जानलेवा भी हुए है इंटरनेट पर अगर आप खोजे तो आपको कई लेख मिल जायेंगे कई लोगों को अपनी जान सिर्फ इसलिए गवानी पड़ी क्यूंकि उन्होंने सही समय पर उचित इलाज नहीं लिया 
आइये जानते है इनका इलाज सस्ता क्यों होता है 
१. इनमें से ज्यादातर डिग्री/डिप्लोमा  धारक नहीं होते 
२. सबसे सस्ता डेंटल मटेरियल उपयोग करते है  जो  की न के बराबर काम करता है हाँ ये दवाइयाँ जैसे की दर्द की दवा ,एंटीबायोटिक्स आदि को भरपूर रूप से लिखते है जिससे की बीमारी  दब जाये परन्तु यहाँ इलाज कहाँ  हुआ उन्होंने तो सिर्फ उसको दबा दिया अब ये बीमारी कुछ समय बाद उभरकर बढे रूप में सामने आएगी 
३. ज्यादातर लोग sterlization पर ध्यान नहीं देते और यह  मुख्य वजह है जिससे की बीमारियां एक व्यक्ति  मुँह से दुसरे के मुँह में पहुंच जाती है पता चला इलाज तो आप दाँत का कराने आये थे पर साथ में अन्य बीमारियां अपने साथ ले गए





४. कुछ की क्लिनिक तो बहुत शानदार और बढ़िया होती है पर स्टर्लिजशन न के बराबर और तो और ये ट्रीटमेंट भी मरीज की जेब देखकर निर्धारित करते है मोल भाव भी खूब होता है निम्न गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग इलाज के लिए करते है 
५. डेंटल मटेरियल के expire होने के बाद भी उसे मरीज के इलाज में उपयोग में लेते है 

तो ये तो थे कुछ तरीके जिससे इलाज को सस्ता बनाया जा सकता है पर वह इलाज तो कम  होता है बीमारी को बढ़ाना ज्यादा होता है 



















मुँह एवं दाँतों का रख रखाव एवं देखभाल

हम जो भी अपने शरीर को चलाने और उर्जा देने के लिए भोजन ग्रहण करते है सब मुँह के रास्ते होकर पेट में जाता है और स्वास्थ्य से जुडी सारी समस्याओं की शुरूआत अधिकांशतः पेट से  होती है | इसलिए अपने मुंह  की साफ सफाई भी उतनी ही जरुरी है जितना की  रोज खाना खाना !
मुँख  के रखरखाव मेँ  रोजाना अपने दातों की सफाई करना और वो भोजन के कण जो दातों में खाने के बाद भी फसे हुए रह जाते है उन्हें हटाना और जीभ की भी नियमित तौर से की सफाई आती है |  आप ओरल हाईजीन  को भी अपनी जिन्दगी में लागू करें | हर रोज ब्रश के साथ साथ जीभ और फ्लोसिग के जरिये सही से सफाई रखते हुए मुंह को डेन्टल  प्रॉबलम्स  से बचाके रख सकते है |

फ्लॉसिंग – दातों और मसूड़ों के अलावा मुहं में ऐसी बहुत सारी जगहे होती है जहाँ  ब्रश नहीं पहुँच पाते है और इसी वजह से यंहा बहुत जमा  होता  रहता है जो हमारे दातों की सेहत के लिए अच्छा नहीं है  फ्लॉसिंग से  आप दाँतों के बीच उन जगहों को भी साफ़ भी साफ़ कर  जहाँ ब्रश नहीं पहुंच पाते है 


प्लाक को हटाना - प्लाक को सामान्य  टूथ ब्रश से हटाया जा सकता है यह असल में एक चिपचिपी परत होती है जो खाने के बाद सही से मुहं की देखभाल नहीं करने वालों के मसूड़ों और दातों के बीच में जम जाती है और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम या तो ठीक से ब्रश नहीं करते है या  करते ही नहीं है | सही विधि से डेंटिस्ट के परामर्श के अनुसार आप नियमित ब्रश करें और इस बात का ध्यान रखें कि रात को  भी खाने के बाद ब्रश करना चाहिए क्योंकि खाने के बाद जमी इस परत में कीटाणु हो सकते है जो आपके दातों की सेहत के लिए हानिकारक है और मसूड़ों को खराब करते  है एवं दाँतों  कैविटी कर देते है 



दाँतों की साफ सफाई 
  • दांतों की  टूथब्रश  इस्तेमाल करना चाहिए  हमेशा मुलायम एवं छोटे हेड वाला टूथब्रश इस्तेमाल करना चाहिए 
  • टूथब्रश एवं पेस्ट का चुनाव डेंटिस्ट की सलाह से करना चाहिए 
  • दाँतों में सेंसिटिविटी , मसूड़ों से खून  आना , आदि सभी अलग अलग  बीमारियों के लिए अलग अलग पेस्ट उपलब्ध है  जो  की डेंटिस्ट सलाह से ही ले टीवी पर प्रचार देख कर नहीं 
  • साथ ही इस बात का ध्यान रखना भी जरुरी है कि ब्रश का चुनाव करते समय यह सावधानी रखे कि आपके दातों और मसूड़ों की नाजुक परत को वो कोई नुक्सान नहीं पहुंचाए और उसके रेशे नाजुक होने चाहिए 
  • दांतों  सेंसिटिविटी के लिए टूथपेस्ट का  चुनाव डेंटिस्ट की सलाह से  करें 
  • पोटैशियम नाइट्रेट आधारित (सेंसिटिविटी) टूथपेस्ट ६ माह से ज्यादा इस्तेमाल  करें 
  • माउथवाश का इस्तेमाल भी डेंटिस्ट की सलाह  से ही करें chlorhexidine बेस्ड माउथवाश १५ दिन से ज्यादा इस्तेमाल ना  करें अथवा  डेंटिस्ट की सलाह  ले 
  • ब्रश करने की सही विधि का करें 







Oral Cavity -Gateway of your body

 The first thing that comes to mind when you think of your mouth is probably eating. The part of the mouth behind the teeth and gums that is bounded above by the palate and below by the tongue and the inner part of the mandible.



your mouth and teeth form your smile, which is often the first thing people notice when they look at you. The mouth is also essential for speech: The tongue (which also allows us to taste) enables us to form words with the help of our lips and teeth. The tongue hits the teeth to make certain sounds — the th sound, for example, is produced when the tongue brushes against the upper row of teeth. If a person has a lisp, that means the tongue touches the teeth instead of directly behind them when saying words with the s sound.

Without our teeth, we'd have to live on a liquid diet or a diet of soft, mashed food. The hardest substances in the body, the teeth are necessary for mastication — a fancy way of saying chewing — the process by which we tear, cut, and grind food in preparation for swallowing.

Chewing allows enzymes and lubricants released in the mouth to further digest, or break down, food. This makes the mouth one of the first steps in the digestive process.