लगातार बढ़ती जा रही आबादी के सामने खाने पीने और स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ती जा रही है ऐसे में सही और गलत का निर्धारण करने समय किसके पास है
भारत जैसे विशाल देश में जहां की आबादी 1.२५ अरब के ऊपर है स्वास्थ्य के रखरखाव से जुडी समस्यायें लगातार बढ़ती जा रही है उस पर दाँतों से जुडी समस्याओं पर ध्यान तो तब जाता है जब समस्या बहुत बढ़ जाती है या self medication से लाभ मिलना बंद हो जाता है
भारत देश में लोग बीमारी को तो लंबे समय तक सहन(tolerate) करते है उसे पालपोष कर बढ़ा कर डेंटिस्ट के पास पहुंचते है पर जैसे ही डेंटिस्ट के यह पहुंचते है वो इंतजार करना पसंद नहीं करते और डेंटिस्ट से उम्मीद करते है की वह कम समय में कम पैसे में उनका इलाज कर दे क्योंकि हम लोगो को लगता है दाँतों इलाज पर पैसा खर्च करना व्यर्थ का खर्च है कौन मुँह के अन्दर देखता है चेहरे को तो सभी चमका के रखते है पर मुंह के अंदर क्या चल रहा है इस पर कोई ध्यान नहीं देता !!
इसी मानसिकता चलते झोलाछाप डॉक्टर उन्हें सस्ता इलाज बताकर भ्रमित करते है ये सस्ता इलाज उस समय तो दर्द से राहत देता है पर उसके दूरगामी परिणाम बहुत भयावह/जानलेवा भी हुए है इंटरनेट पर अगर आप खोजे तो आपको कई लेख मिल जायेंगे कई लोगों को अपनी जान सिर्फ इसलिए गवानी पड़ी क्यूंकि उन्होंने सही समय पर उचित इलाज नहीं लिया
आइये जानते है इनका इलाज सस्ता क्यों होता है
१. इनमें से ज्यादातर डिग्री/डिप्लोमा धारक नहीं होते
२. सबसे सस्ता डेंटल मटेरियल उपयोग करते है जो की न के बराबर काम करता है हाँ ये दवाइयाँ जैसे की दर्द की दवा ,एंटीबायोटिक्स आदि को भरपूर रूप से लिखते है जिससे की बीमारी दब जाये परन्तु यहाँ इलाज कहाँ हुआ उन्होंने तो सिर्फ उसको दबा दिया अब ये बीमारी कुछ समय बाद उभरकर बढे रूप में सामने आएगी
३. ज्यादातर लोग sterlization पर ध्यान नहीं देते और यह मुख्य वजह है जिससे की बीमारियां एक व्यक्ति मुँह से दुसरे के मुँह में पहुंच जाती है पता चला इलाज तो आप दाँत का कराने आये थे पर साथ में अन्य बीमारियां अपने साथ ले गए
४. कुछ की क्लिनिक तो बहुत शानदार और बढ़िया होती है पर स्टर्लिजशन न के बराबर और तो और ये ट्रीटमेंट भी मरीज की जेब देखकर निर्धारित करते है मोल भाव भी खूब होता है निम्न गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग इलाज के लिए करते है
५. डेंटल मटेरियल के expire होने के बाद भी उसे मरीज के इलाज में उपयोग में लेते है
तो ये तो थे कुछ तरीके जिससे इलाज को सस्ता बनाया जा सकता है पर वह इलाज तो कम होता है बीमारी को बढ़ाना ज्यादा होता है